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युवाओं की खबर अश्लील गानों पर यह कैसी बेबसी? -देव जायसवाल* *जरा सोचिए क्या आपकीं अल्प खुशियां आपके परिवार के सम्मान से बढ़कर है?- देव जायसवाल* *रंगों से खेले किसी के सम्मान से नही* चन्दौली।राते दिया बुझा के पिया.....तोहार दु दु इंटिकेटर....जिन गानों के बोल को मैं लिख भी नहीं सकता ऐसे भोजपुरी गानें आजकल समाज मे मनोरंजन के लिए प्रायःजरूरत सा बन गया है।ऑटो में,किसी के दुकान के बाहर,डी. जे. पर अक्सर अश्लील गाने सुनने को मिल जाते है।हम सब अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से मुह मोड़कर इसका विरोध करने के बजाय चुपचाप सुनते रहते है,परंतु सोचिये की जब आपके घर की महिलाओं के सामने ऐसे गाने बजते है तो कितनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। ज़हन में आता ही होगा कि गाना बनाने वाले को पकड़ कर मारना चाहिए लेकिन कुछ समय बाद खुद ही कान में इयरफोन लगाकर वैसे ही गानें सुनने लगते है।मेरे एक मित्र ने बताया कि आजकल जब वह गाड़ी चलाता है तो वैसे गानों को बजाकर चलाता है अन्यथा उसको आलस महसूस होने लगती है।ऐसे में सिर्फ 8 मार्च को महिलाओं का सम्मान छलावा लगने लगता है।आखिर चुपचाप अश्लील गानो को बर्दाश्त हम क्यों करते है..?खुद नही विरोध कर सकते तो कम से कम 112 नम्बर पर डायल कर पुलिस को तो सूचना दे ही सकते है, यदि नही देते है तो आपके अंदर का ज़मीर मर चुका है।यहां यह भी बताना जरूरी है कि सार्वजनिक रूप से यदि आप अश्लील गाने बजाते है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। दूसरी बात ,होली एक दूसरे से गले मिलने का त्यौहार होता है,हमारी संस्कृति में दुश्मनों को भी इस अवसर पर गले लगाया जाता है,परंतु आजकल शराब के नशे में सबसे ज्यादा मारपीट ,गाली गलौज इसी त्यौहार पर होता है।क्या मजाल की होली खेल रहे किसी गुट के सामने से कोई महिला निर्भय होकर गुजर जाए। रामायण में एक प्रसंग है कि सीता की खोज करते समय जब मार्ग में सीता के आभूषण मिलते हैं तो श्री राम जी लक्ष्मण जी से पूछते हैं "हे लक्ष्मण! क्या तुम इन आभूषणों को पहचानते हो?" लक्ष्मण जी ने उत्तर में कहा "कि मैंने तो कभी माता सीता की तरफ़ नज़र उठा के देखा ही नहीं इसलिए मैं न तो बाहों में बंधने वाले केयूर को पहचानता हूँ और न ही कानों के कुण्डल को परन्तु मै प्रतिदिन माता सीता के चरण स्पर्श करता था, अतः उनके पैरों के नूपुर तक को सिर्फ़ पहचानता हूँ।" हमारी संस्कृति में बड़े भाई की धर्मपत्नी का यह स्थान दिया गया है परंतु बड़े ही दुर्भाग्य का विषय है कि आजकल भाभियों से गंदे एवं फूहड़ बातें करने का प्रचलन हो गया है। पिछले वर्ष होली पर मैं शाम होते ही बड़ा दुःखी हो गया था,पूरे क्षेत्र में हर तरफ से भीषण दुर्घटना की खबरे आ रही थी रात्रि में जब मैंने संबंधित थाना प्रभारी से दुर्घटना के विषय मे जानकारी ली तो पता चला की सभी दुर्घटनाए शराब ज्यादा पीकर तेज गति से गाड़ी चलाने से हुई है।हॉस्पिटल जाकर देखा तो रोते बिलखते परिजनों को देखकर मेरा कलेजा फट गया।युवा पीढ़ी से पूछना चाहता हूं कि क्या आपका मौज मस्ती अपने परिवार की खुशियों से बढ़कर है?आपकीं ज़िन्दगी सिर्फ आपके अकेले की नही हो सकती है उसपर आपके माता पिता, भाई एवं बहन का भी अधिकार है।आइये संकल्प ले कि इस होली इन कुरीतियों का त्याग करेंगे।