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वायरल हेपेटाइटिस के मरीजों की देखभाल को लेकर जागरुकता बढ़ाई लखनऊ : हेपेटाइटिस दूसरी सबसे घातक बीमारी मानी जाती है । 29 करोड़ से भी ज्यादा लोग हेपेटाइटिस की बीमारी से ग्रस्त हैं लेकिन उन्हें इसके बारे में कोई खबर नहीं है। हालांकि, मरीजों के लिए टेस्ट, इलाज और वैक्सिनेशन जरूरी हैं लेकिन उन्हें इसके बारे में जागरुक करना भी उतना ही जरूरी है। हेपेटाइटिस की बीमारी और इसकी मृत्युदर के बारे में लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने हेपेटाइटिस के मरीजों की उचित देखभाल के लिए ‘फाइंड द मिसिंग मिलियन’ की प्रतिज्ञा ली है। डब्ल्युएचओ के अनुसार, हेपेटाइटिस बी और सी से हर साल लगभग 1.4 मिलियन लोग ग्रस्त पाए जाते हैं। इसके अनुसार एचआईवी की तुलना में हेपेटाइटिस के मरीजों की संख्या 9 गुना ज्यादा है। विश्व स्तर पर, 10 में से 9 लोग इस गंभीर बीमारी से ग्रस्त पाए जाते हैं और इलाज में देरी के साथ यह बीमारी घातक साबित हो सकती है। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मैक्स सेंटर फॉर लिवर एंड बायलरी साइंसेस के अध्यक्ष, डॉक्टर सुभाष गुप्ता ने बताया कि, “हेपेटाइटिस विभिन्न प्रकार से फैल सकता है जैसे कि संभोग, बिना जांच के रक्त दान, संक्रमित सुई या सिंरिंज का इस्तेमाल, शरीर में पियरसिंग कराना, टैटू वाली सुई आदि। हालांकि, इसके फैलाव का सबसे बड़ा जरिया मां है, जहां बच्चे को यह बीमारी उसकी मां से मिलती है। हालांकि, डब्ल्युएचओ के अनुसार, ऐसे देश बहुत कम हैं जहां गर्भवती महिला की स्क्रीनिंग और नवजात शिशु के टीकाकरण की पॉलिसी लागू हो।” हेपेटाइटिस ए और ई वायरस फेको-ओरल यानी कि विषाक्त खाने और पानी के सेवन से होते हैं। इसकी रोकथाम के लिए स्वच्छता बेहद जरूरी है। वहीं हेपेटाइटिस ए की रोकथाम की लिस्ट में टीकाकरण को शामिल करने की आवश्यकता है। कुछ मामलों में हेपेटाइटिटिस ए और ई गंभीर रूप ले सकते हैं जिसके कारण मरीज को आईसीयू में तत्काल रूप से भर्ती करना पड़ सकता है। यहां तक कि ऐसे मरीजों का लिवर तक खराब हो सकता है। अच्छी बात यह है कि हर प्रकार के हेपेटाइटिस की रोकथाम व इलाज संभव है। हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण क्रोनिक लिवर डिजीज़, सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बनते हैं। वहीं सही समय पर निदान के साथ बीमारी का इलाज संभव है, जहां एंटीवायरल दवाइयों की मदद से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि इस दशक की सबसे बड़ी खोज हेपेटाइटिस सी की सफल दवा है। डॉक्टर गुप्ता ने आगे बताया कि, “पुरानी हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण के इलाज के साथ हमें जीवनशैली की आदतों में भी सुधार करने की आवश्यकता है जैसे कि शराब का सेवन न करना, मोटापा कम करना, डायबिटीज़ में सुधार, धूम्रपान न करना और दवा प्रेरित लिवर खराबी से बचाव आदि। हेपेटोसेल्युलर कैंसर क्रोनिक हेपेटाइटिस के साथ होता है इसलिए बीमारी की दर और मृत्युदर को कम करने में सक्रीनिंग और जांच अहम भूमिका निभाती है।” हेपेटाइटिस बी के इलाज के लिए शोध जारी है और वर्तमान समय में एंटीवायरल दवाइयां केवल वायरल को बढ़ने से रोक सकती हैं। लेकिन हमारा मुख्य उद्देश्य हेपेटाइटिस को खत्म करना है जो केवल टीकाकरण से ही संभव है।
