अपनों_की_पीड़ा_देख_खुद_का_दर्द_भूल_गये_सुबोध #यादव_पिता_जी_के_बताये_हुए_पद_चिन्हों_पर_चल #पड़े_नेता_जी_और_अपनें_लोगों_से_कहें_है_कि_किसी #गरीब_परिवार_को_भूखा_नहीं_सोने_देगें_चाहें_उसके #लिए_हमको_शरीर_के_एक_एक_कतरे_को_गिरवी #रखना_पडेगा_तो_रख_देंगे_कहते_हैं_कि_संगत_का #असर_भी_इन्सान_को_बदल_देता_है_लेकिन_यहां_तो #बेटे_मे_ही_पिता_का_प्रतिबिम्ब_झलका_तो_किसी_को #आश्चर्य_नही_हुआ_जी_हां_खुद_के_स्वास्थ्य_की #समस्या_से_जूझते_हुए_महीनों_से_प्रदेश_की_राजधानी #मे_अपने_इलाज_मे_फंसे_पूर्वांचल_की_राजनीति_के #स्तंभ_रहे_पूर्व_सांसद_भालचन्द_यादव_के_छोटे_पुत्र #सुवोध_यादव_ने_कॅरोना_वायरस_के_चलते लाकडाउन #मे_फंसे_जिले_के_गरीबों_के_लिए_अपने_समर्थकों_के #हाथों_खाद्य_सामाग्री_भेजवा_कर_न_सिर्फ_पूर्व_सांसद #की_समाज_सेवा_की_विरासत_को_संभालने_का संकेत दिया बल्कि उनके बिना जिले मे व्याप्त राजनैतिक शून्यता को भी भरने की कोशिश किया है। विदित है कि पूर्व सांसद के निधन के सदमे से उबरने की कोशिश मे जुटे सुबोध यादव को लगभग तीन माह पूर्व खुद स्वास्थ्य मे हुई समस्या के चलते लखनऊ स्थित पीजीआई मे भर्ती होना पड़ा था। पीजीआई से छुट्टी मिलने के बाद चिकित्सकों के निगरानी मे ही उन्हे लखनऊ मे ही प्रवास करना पड रहा है। ऐसे मे विश्व के ऊपर छाये कॅरोना जैसे खतरनाक वायरस के संकट से जब समूचे देश मे लाकडाउन किया गया तो जिले और क्षेत्र मे गरीबों के परिवार के सामने खड़े हुए संकट का अहसास उन्हे लखनऊ मे ही हो गया। सुबोध यादव ने गरीबों के घर तक खाद्य सामग्री भेजवा कर पूर्व सांसद के खुद मे छिपे प्रतिबिम्ब को परिलक्षित किया। उनके इस प्रयास को जिले की आवाम खूब प्रशंसा कर रही है